क्यों, क्या, कैसे, कब जाने
अब तो जो हो, बस रब जाने
ख़ुमारी में डगमगाते क़दमों की
मंजिल का वो ही सबब जाने
गुदगुदाते बरबस हंसी फूट पड़े
बस वो ही ऐसे दो लब जाने
सहमे सकुचाते कैदी एहसासों का
मर्म समझे, मतलब जाने
उम्रदराज़ अंधेरों में टटोल रहे हैं राहें
किस पहर कटे ये शब जाने!